(3) यह उस तारीख- को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करे ; और विभिन्न राज्यों या किसी राज्य में विभिन्न क्षेत्रों के लिए विभिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी तथा ऐसे किसी उपबंध में, इस अधिनियम के प्रारंभ के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह, यथास्थिति, ऐसे राज्य या ऐसे क्षेत्र में उस उपबंध के प्रवृत्त होने के प्रति निर्देश है :
परन्तु यह अधिनियम उस सम्पूर्ण राज्यक्षेत्र को, जिस पर इसका विस्तार है, इस अधिनियम के अधिनियमन की तारीख से पांच वर्ष की कालावधि के भीतर लागू होगा ।
2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
(क) वयस्क" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अठारह वर्ष की आयु पूरी कर ली है ;
(ख) आवेदक" से किसी गृहस्थी का प्रमुख या उसके अन्य वयस्क सदस्यों में से कोई अभिप्रेत है, जिसने स्कीम के अधीन नियोजन के लिए आवेदन किया है ;
(ग) ब्लाक" से किसी जिले के भीतर कोई सामुदायिक विकास क्षेत्र अभिप्रेत है, जिसमें ग्राम पंचायतों का एक समूह है;
(घ) केन्द्रीय परिषद्" से धारा 10 की उपधारा (1) के अधीन गठित केन्द्रीय नियोजन गारंटी परिषद् अभिप्रेत है ;
(ङ) जिला कार्यक्रम समन्वयक" से किसी जिले में स्कीम के कार्यान्वयन के लिए धारा 14 की उपधारा (1) के अधीन उस रूप में पदाभिहित राज्य सरकार का कोई अधिकारी अभिप्रेत है ;
(च) गृहस्थी" से किसी कुटुम्ब के सदस्य अभिप्रेत हैं, जो एक दूसरे से रक्त, विवाह या दत्तकग्रहण द्वारा संबंधित हैं और सामान्यतः एक साथ निवास करते हैं तथा सम्मिलित रूप से भोजन करते हैं या एक सामान्य राशन कार्ड रखते हैं ;
(छ) कार्यान्वयन अभिकरण" में केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार का कोई विभाग, कोई जिला परिषद्, मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत या कोई स्थानीय प्राधिकरण या सरकारी उपक्रम या गैर सरकारी संगठन, जिसे किसी स्कीम के अधीन किए जाने वाले किसी कार्य का कार्यान्वयन करने के लिए केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत किया गया है, सम्मिलित हैं ;
(ज) किसी क्षेत्र के संबंध में न्यूनतम मजदूरी" से कृषि श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 (1948 का 11) की धारा 3 के अधीन राज्य सरकार द्वारा नियत न्यूनतम मजदूरी अभिप्रेत है, जो उस क्षेत्र में लागू है ;
(झ) राष्ट्रीय निधि" से धारा 20 की उपधारा (1) के अधीन स्थापित राष्ट्रीय नियोजन गारंटी निधि अभिप्रेत है ;
(ञ) अधिसूचना" से राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना अभिप्रेत है ;
(ट) अधिमानित कार्य" से कोई ऐसा कार्य अभिप्रेत है जिसे किसी स्कीम के अधीन पूर्विकता के आधार पर कार्यान्वयन के लिए किया जाता है ;
(ठ) विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है ;
(ड) कार्यक्रम अधिकारी" से स्कीम को कार्यान्वित करने के लिए धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त कोई अधिकारी अभिप्रेत है ;
(ढ) परियोजना" से आवेदकों को नियोजन उपलब्ध कराने के प्रयोजन के लिए किसी स्कीम के अधीन किया जाने वाला कोई कार्य अभिप्रेत है ;
(ण) ग्रामीण क्षेत्र" से तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन स्थापित या गठित किसी शहरी स्थानीय निकाय या किसी छावनी बोर्ड के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों के सिवाय किसी राज्य में कोई क्षेत्र अभिप्रेत है ;
(त) स्कीम" से धारा 4 की उपधारा (1) के अधीन राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित कोई स्कीम अभिप्रेत है ;
(थ) राज्य परिषद्" से धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन गठित राज्य नियोजन गारंटी परिषद् अभिप्रेत है ;
(द) अकुशल शारीरिक कार्य" से कोई भौतिक कार्य अभिप्रेत है जिसे कोई वयस्क व्यक्ति किसी कौशल या विशेष प्रशिक्षण के बिना करने में समर्थ है ;
(ध) मजदूरी दर" से धारा 6 में निर्दिष्ट मजदूरी दर अभिप्रेत है ।
अध्याय 2
ग्रामीण क्षेत्र में नियोजन की गारंटी
3. निर्धन गृहस्थियों को ग्रामीण नियोजन की गारंटी-(1) यथा अन्यथा उपबंधित के सिवाय, राज्य सरकार में ऐसे ग्रामीण क्षेत्र में जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए, प्रत्येक गृहस्थी को, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं, इस अधिनियम के अधीन बनाई गई स्कीम के अनुसार किसी वित्तीय वर्ष में सौ दिनों से अन्यून के लिए ऐसा कार्य उपलब्ध कराएगी ।
(2) प्रत्येक व्यक्ति जिसने स्कीम के अधीन उसे दिया गया कार्य किया है, प्रत्येक कार्य दिवस के लिए मजदूरी की दर से मजदूरी प्राप्त करने का हकदार होगा ।
(3) इस अधिनियम में अन्यथा उपबंधित के सिवाय दैनिक मजदूरी का संवितरण साप्ताहिक आधार पर या किसी भी दशा में उस तारीख के पश्चात् जिसको ऐसा कार्य किया गया था पन्द्रह दिन के अपश्चात् किया जाएगा ।
(4) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, अपनी आर्थिक क्षमता और विकास की सीमाओं के भीतर, किसी स्कीम के अधीन किसी गृहस्थी के प्रत्येक वयस्क सदस्य के लिए उपधारा (1) के अधीन गारंटीकृत अवधि के परे किसी अवधि के लिए, जो समीचीन हो, कार्य सुनिश्चित करने के लिए उपबंध कर सकेगी ।
अध्याय 3
नियोजन गारंटी स्कीमें और बेकारी भत्ता
4. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नियोजन गारंटी स्कीमें-(1) धारा 3 के उपबंधों को प्रभावी बनाने के प्रयोजनों के लिए, प्रत्येक राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से छह मास के भीतर, स्कीम के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक गृहस्थी को जिसके वयस्क सदस्य इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन और स्कीम में अधिकथित शर्तों के अधीन रहते हुए अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं, किसी वित्तीय वर्ष में सौ दिनों से अन्यून का गारंटीकृत नियोजन उपलब्ध कराने के लिए अधिसूचना द्वारा एक स्कीम बनाएगी :
परन्तु यह कि राज्य सरकार द्वारा किसी ऐसी स्कीम को अधिसूचित किए जाने तक सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के लिए वार्षिक कार्रवाई योजना या भावी योजना या राष्ट्रीय काम के लिए अनाज कार्य कार्यक्रम, जो ऐसी अधिसूचना से ठीक पूर्व संबंधित क्षेत्र में प्रवृत्त है, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए स्कीम हेतु कार्रवाई योजना समझा जाएगा ।
(2) राज्य सरकार, कम से कम दो स्थानीय समाचार पत्रों में, जिनमें से एक ऐसे क्षेत्र या क्षेत्रों में जिसको ऐसी स्कीम लागू होगी, परिचालित जन भाषा में होगा, उसके द्वारा बनाई गई स्कीम का सार प्रकाशित करेगी ।
(3) उपधारा (1) के अधीन बनाई गई स्कीम अनुसूची 1 में विनिर्दिष्ट न्यूनतम बातों के लिए उपबंध करेगी ।
5. गारंटीकृत नियोजन उपलब्ध कराने के लिए शर्तें-(1) राज्य सरकार, अनुसूची 2 में विनिर्दिष्ट शर्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस अधिनियम के अधीन गारंटीकृत नियोजन उपलब्ध कराने के लिए स्कीम में शर्तें विनिर्दिष्ट कर सकेंगी ।
(2) इस अधिनियम के अधीन बनाई गई किसी स्कीम के अधीन नियोजित व्यक्ति ऐसी सुविधाओं का हकदार होगा जो अनुसूची 2 में विनिर्दिष्ट न्यूनतम सुविधाओं से कम नहीं हैं ।
6. मजदूरी दर-(1) न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 (1948 का 11) में किसी बात के होते हुए भी, केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए, अधिसूचना द्वारा, मजदूरी दर विनिर्दिष्ट कर सकेगी:
परन्तु यह कि विभिन्न क्षेत्रों के लिए मजदूरी की भिन्न-भिन्न दरें विनिर्दिष्ट की जा सकेंगी :
परन्तु यह और कि किसी ऐसी अधिसूचना के अधीन समय-समय पर विनिर्दिष्ट मजदूरी दर साठ रुपए प्रतिदिन से कम की दर पर नहीं होगी ।
(2) किसी राज्य में किसी क्षेत्र के संबंध में केंद्रीय सरकार द्वारा कोई मजदूरी दर नियत किए जाने के समय तक, कृषि श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 (1948 का 11) की धारा 3 के अधीन राज्य सरकार द्वारा नियत न्यूनतम मजदूरी उस क्षेत्र को लागू मजदूरी दर समझी जाएगी ।
7. बेकारी भत्ते का संदाय-(1) यदि स्कीम के अधीन नियोजन के लिए किसी आवेदक को, नियोजन चाहने वाले उसके आवेदन की प्राप्ति के या उस तारीख से जिसको किसी अग्रिम आवेदन की दशा में नियोजन चाहा गया है, इनमें से जो भी पश्चात्वर्ती हो, पन्द्रह दिन के भीतर ऐसा नियोजन उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो वह इस धारा के अनुसार एक दैनिक बेकारी भत्ते का हकदार होगा ।
(2) पात्रता के ऐसे निबंधनों और शर्तों के अधीन रहते हुए, जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाएं तथा इस अधिनियम और स्कीमों और राज्य सरकार की आर्थिक क्षमता के अधीन रहते हुए, उपधारा (1) के अधीन संदेय बेकारी भत्ता किसी गृहस्थी के आवेदकों को गृहस्थी की हकदारी के अधीन रहते हुए, ऐसी दर से जो राज्य परिषद् के परामर्श से, अधिसूचना द्वारा, राज्य सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए, संदत्त किया जाएगा :
परन्तु यह कि कोई ऐसी दर वित्तीय वर्ष के दौरान पहले तीस दिनों के लिए मजदूरी दर के एक चौथाई से कम नहीं होगी और वित्तीय वर्ष की शेष अवधि के लिए मजदूरी दर के एक बटा दो से अन्यून नहीं होगी ।
(3) किसी वित्तीय वर्ष के दौरान किसी गृहस्थी को बेकारी भत्ते का संदाय करने का राज्य सरकार का दायित्व समाप्त हो जाएगा जैसे ही-
(क) आवेदक को, ग्राम पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी द्वारा या तो स्वयं कार्य के लिए रिपोर्ट करने या उसकी गृहस्थी के कम से कम एक वयस्क सदस्य को तैनात करने के लिए निदेशित किया जाता है ; या
(ख) वह अवधि जिसके लिए नियोजन चाहा गया है, समाप्त हो जाती है और आवेदक की गृहस्थी का कोई सदस्य नियोजन के लिए नहीं आता है ; या
(ग) आवेदक की गृहस्थी के वयस्क सदस्यों ने उस वित्तीय वर्ष के भीतर कुल मिलाकर कम से कम सौ दिनों का कार्य प्राप्त कर लिया है ; या
(घ) आवेदक की गृहस्थी ने मजदूरी और बेकारी भत्ता, दोनों को मिलाकर उतना उपार्जित कर लिया है, जो वित्तीय वर्ष के दौरान कार्य के सौ दिनों की मजदूरी के बराबर है ।
(4) गृहस्थी के किसी आवेदक को संयुक्त रूप से संदेय बेकारी भत्ता कार्यक्रम अधिकारी या ऐसे स्थानीय प्राधिकारी द्वारा (जिसके अन्तर्गत जिला मध्यवर्ती या ग्राम स्तर की पंचायत है), जिसे राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत करे, मंजूर और संवितरित किया जाएगा ।
(5) उपधारा (1) के अधीन बेकारी भत्ते का प्रत्येक संदाय, उस तारीख से जिसको वह संदाय के लिए शोध्य हो जाता है, पन्द्रह दिन के अपश्चात् किया जाएगा या प्रस्तावित किया जाएगा ।
(6) राज्य सरकार, इस अधिनियम के अधीन बेकारी भत्ते के संदाय के लिए प्रक्रिया विहित कर सकेगी ।
8. कतिपय परिस्थितियों में बेकारी भत्ते का संवितरण न करना-(1) यदि कार्यक्रम अधिकारी, अपने नियंत्रण के परे किसी कारण से बेकारी भत्ते का समय पर या बिल्कुल संवितरण करने की स्थिति में नहीं है, तो वह जिला कार्यक्रम समन्वयक को मामले की रिपोर्ट करेगा और अपने सूचना पट्ट पर और ग्राम पंचायत के सूचना पट्ट पर तथा ऐसे अन्य सहजदृश्य स्थानों पर जो वह आवश्यक समझे, संप्रदर्शित की जाने वाली किसी सूचना में ऐसे कारणों की घोषणा करेगा ।
(2) बेकारी भत्ते का संदाय न करने या विलंब से संदाय के प्रत्येक मामले की जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा राज्य सरकार को प्रस्तुत की गई वार्षिक रिपोर्ट में, ऐसे संदाय न करने या विलंब से संदाय के कारणों सहित, रिपोर्ट की जाएगी ।
(3) राज्य सरकार, उपधारा (1) के अधीन रिपोर्ट किए गए बेकारी भत्ते का संबंधित गृहस्थी को यथासंभव शीघ्रता से संदाय करने के सभी उपाय करेगी ।
9. कतिपय परिस्थितियों में बेकारी भत्ता प्राप्त करने के हक से वंचित रहना-कोई आवेदक जो-
(क) किसी स्कीम के अधीन अपनी गृहस्थी को उपलब्ध नियोजन स्वीकार नहीं करता है ; या
(ख) कार्य के लिए रिपोर्ट करने के लिए कार्यक्रम अधिकारी या कार्यान्वयन अभिकरण द्वारा अधिसूचित किए जाने के पन्द्रह दिन के भीतर कार्य के लिए रिपोर्ट नहीं करता है ; या
(ग) संबंधित कार्यान्वयन अभिकरण से कोई अनुज्ञा प्राप्त किए बिना एक सप्ताह से अधिक की अवधि के लिए कार्य से लगातार अनुपस्थित रहता है या किसी मास में एक सप्ताह से अधिक की कुल अवधि के लिए अनुपस्थित रहता है,
तो वह तीन मास की अवधि के लिए इस अधिनियम के अधीन संदेय बेकारी भत्ते का दावा करने का हकदार नहीं होगा किन्तु किसी भी समय स्कीम के अधीन नियोजन चाहने का हकदार होगा ।
अध्याय 4
कार्यान्वित और मानीटर करने वाले प्राधिकारी
10. केन्द्रीय रोजगार गारंटी परिषद्-(1) ऐसी तारीख से, जिसे केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे, केन्द्रीय रोजगार गारंटी परिषद् के नाम से एक परिषद् इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन उसे समनुदेशित कृत्यों और कर्तव्यों का पालन करने के लिए गठित की जाएगी ।
(2) केन्द्रीय परिषद् का मुख्यालय दिल्ली में होगा ।
(3) केन्द्रीय परिषद् निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनेगी, जिन्हें केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा, अर्थात्: -
(ख) केन्द्रीय मंत्रालयों के, जिनके अन्तर्गत योजना आयोग भी है, भारत सरकार के संयुक्त सचिव से अन्यून की पंक्ति के उतनी संख्या से अनधिक में, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अवधारित की जाए, प्रतिनिधि;
(ग) राज्य सरकारों के उतनी संख्या से अनधिक में, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अवधारित की जाए, प्रतिनिधि;
(घ) पंचायती राज्य संस्थाओं, कर्मकार संगठनों और असुविधाग्रस्त समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले पंद्रह से अनधिक गैर सरकारी सदस्य;
परंतु यह कि ऐसे गैर सरकारी सदस्यों में केन्द्रीय सरकार द्वारा एक समय में एक वर्ष की अवधि के लिए चक्रानुक्रम से नामनिर्देशित जिला पंचायतों के दो अध्यक्ष सम्मिलित होंगे :
परंतु यह और कि इस खंड के अधीन नामनिर्देशित एक तिहाई से अन्यून गैर सरकारी सदस्य महिलाएं होंगी :
परंतु यह भी कि गैर सरकारी सदस्यों के एक तिहाई से अन्यून सदस्य अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछडे़ वर्गों और अल्पसंख्यकों के होंगे ;
(ङ) राज्यों के उतनी संख्या में प्रतिनिधि होंगे, जो केन्द्रीय सरकार इस निमित्त नियमों द्वारा अवधारित करे ;
(च) भारत सरकार के संयुक्त सचिव की पंक्ति से अन्यून की पंक्ति का एक सदस्य सचिव ।
(4) वे निबन्धन और शर्तें जिनके अधीन रहते हुए, केन्द्रीय परिषद् का अध्यक्ष और अन्य सदस्य नियुक्त किए जा सकेंगे तथा केन्द्रीय परिषद् की बैठकों का समय, स्थान और प्रक्रिया (जिसके अन्तर्गत ऐसी बैठकों में गणपूर्ति भी है) वह होगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए ।
11. केन्द्रीय परिषद् के कृत्य और कर्तव्य-(1) केन्द्रीय परिषद् निम्नलिखित कृत्यों और कर्तव्यों का पालन और निर्वहन करेगी, अर्थात् :-
(क) केन्द्रीय मूल्यांकन और मनीटरी प्रणाली स्थापित करना;
(ख) इस अधिनियम के कार्यान्वयन से संबंधित सभी विषयों पर केन्द्रीय सरकार को सलाह देना ;
(ग) समय-समय पर मानीटरी और प्रतितोष तंत्र का पुनर्विलोकन करना तथा अपेक्षित सुधारों की सिफारिश करना;
(घ) इस अधिनियम के अधीन बनाई गई स्कीमों के संबंध में जानकारी के विस्तृत संभव प्रसार का संवर्धन करना ;
(ङ) इस अधिनियम के कार्यान्वयन को मानीटर करना ;
(च) इस अधिनियम के कार्यान्वयन पर केन्द्रीय सरकार द्वारा संसद् के समक्ष रखे जाने के लिए वार्षिक रिपोर्टें तैयार करना;
(छ) कोई अन्य कर्तव्य और कृत्य, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा समनुदेशित किए जाएं ।
(2) केन्द्रीय परिषद् को इस अधिनियम के अधीन बनाई गई विभिन्न स्कीमों का मूल्यांकन करने की शक्ति होगी और उस प्रयोजन के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्कीमों के कार्यान्वयन से संबंधित आंकड़े संगृहीत करेगी या संगृहीत कराएगी ।
12. राज्य रोजगार गारंटी परिषद्-(1) राज्य स्तर पर, इस अधिनियम के कार्यान्वयन का नियमित रूप से मानीटर और पुनर्विलोकन करने के प्रयोजनों के लिए प्रत्येक राज्य सरकार . (राज्य का नाम) राज्य रोजगार गारंटी परिषद् के नाम से एक राज्य परिषद् का गठन करेगी जिसमें एक अध्यक्ष और उतनी संख्या में गैर सरकारी सदस्य, जो राज्य सरकार द्वारा अवधारित किए जाएं तथा राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं, कर्मकार संगठनों और असुविधाग्रस्त समूहों से नामनिर्दिष्ट पंद्रह से अनधिक गैर सरकारी सदस्य होंगे:
परन्तु इस खंड के अधीन नामनिर्देशित गैर सरकारी सदस्यों के एक तिहाई से अन्यून सदस्य महिलाएं होंगी:
परंतु यह और कि गैर सरकारी सदस्यों के एक तिहाई से अन्यून सदस्य अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनाजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के होंगे ।
(2) वे निबन्धन और शर्तें जिनके अधीन रहते हुए राज्य परिषद् का अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त किए जा सकेंगे तथा राज्य परिषद् की बैठकों का समय, स्थान और प्रक्रिया (जिनके अंतर्गत ऐसी बैठकों में गणपूर्ति भी है) वह होगी जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाए ।
(3) राज्य परिषद् के कर्तव्यों और कृत्यों में निम्नलिखित सम्मिलित होंगे-
(क) स्कीम और राज्य में उसके कार्यान्वयन से संबंधित सभी विषयों पर राज्य सरकार को सलाह देना;
(ख) अधिमानित कार्यों का अवधारण करना;
(ग) समय-समय पर मानीटरी और प्रतितोष तंत्र का पुनर्विलोकन करना तथा अपेक्षित सुधारों की सिफारिश करना;
(घ) इस अधिनियम और इसके अधीन स्कीमों के संबंध में जानकारी के विस्तृत संभव प्रसार का समर्थन करना;
(ङ) राज्य में इस अधिनियम और स्कीमों के कार्यान्वयन को मानीटर करना तथा ऐसे कार्यान्वयन का केन्द्रीय परिषद् के साथ समन्वय करना;
(च) राज्य सरकार द्वारा राज्य विधान मंडल के समक्ष रखी जाने वाली वार्षिक रिपोर्टें तैयार करना;
(छ) कोई अन्य कर्तव्य और कृत्य जो उसे केन्द्रीय परिषद् और राज्य सरकार द्वारा समनुदेशित किया जाए ।
(4) राज्य परिषद् को, राज्य में प्रचलित स्कीमों का मूल्यांकन करने तथा उस प्रयोजन के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्कीमों तथा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन से संबंधित आंकड़े संगृहीत करवाने की शक्ति होगी ।
13. स्कीमों की योजना और कार्यान्वयन के लिए प्रधान प्राधिकारी-(1) इस अधिनियम के अधीन बनाई गई स्कीमों की योजना और कार्यान्वयन के लिए जिला, मध्यवर्ती और ग्राम स्तरों पर पंचायतें, प्रधान प्राधिकारी होंगी ।
(2) जिला स्तर पर पंचायतों के निम्नलिखित कृत्य होंगे-
(क) स्कीम के अधीन किसी कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यान्वित की जाने वाली परियोजनाओं के ब्लाक अनुसार शेल्फ को अंतिम रूप देना और उसका अनुमोदन करना;
(ख) ब्लाक स्तर और जिला स्तर पर कार्यान्वित की जाने वाली परियोजनाओं का पर्यवेक्षण और उन्हें मानीटर करना; और
(ग) ऐसे अन्य कृत्य करना, जो राज्य परिषद् द्वारा समय-समय पर उसे समनुदेशित किए जाएं ।
(3) मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत के निम्नलिखित कृत्य होंगे-
(क) अंतिम अनुमोदन के लिए जिला स्तर पर जिला पंचायत को भेजने के लिए ब्लाक योजना का अनुमोदन करना;
(ख) ग्राम पंचायत स्तर और ब्लाक स्तर पर कार्यान्वित की जाने वाली परियोजनाओं का पर्यवेक्षण और उन्हें मानीटर करना; और
(ग) ऐसे अन्य कृत्य करना, जो राज्य परिषद् द्वारा समय-समय पर उसे समनुदेशित किए जाएं ।
(4) जिला कार्यक्रम समन्वयक, इस अधिनियम और उसके अधीन बनाई गई किसी स्कीम के अधीन उसके कृत्यों का निर्वहन करने में पंचायत की सहायता करेगा ।
14. जिला कार्यक्रम समन्वयक-(1) जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारी या जिले के कलक्टर या समुचित पंक्ति के किसी अन्य जिला स्तर के अधिकारी को, जिसका राज्य सरकार विनिश्चय करे, जिले में स्कीम के कार्यान्वयन के लिए जिला कार्यक्रम समन्यवयक के रूप में पदाभिहित किया जाएगा ।
(2) जिला कार्यक्रम समन्वयक, इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबन्धों के अनुसार जिले में स्कीम के कार्यान्वयन के लिए उत्तरदायी होगा ।
(3) जिला कार्यक्रम समन्वयक के निम्नलिखित कृत्य होंगे-
(क) इस अधिनियम और उसके अधीन बनाई गई किसी स्कीम के अधीन उसके कृत्यों के निर्वहन में जिला पंचायत की सहायता करना;
(ख) ब्लाक द्वारा तैयार की गई योजनाओं और जिला स्तर पर पंचायत द्वारा अनुमोदित की जाने वाली परियोजनाओं के शैल्फ में सम्मिलित करने के लिए अन्य कार्यान्वयन अभिकरणों से प्राप्त परियोजना प्रस्तावों का समेकन करना;
(ग) आवश्यक मंजूरी और प्रशासनिक अनापत्ति, जहां कहीं आवश्यक हो, प्रदान करना ।
(घ) यह सुनिश्चित करने के लिए कि आवेदकों को इस अधिनियम के अधीन उनकी हकदारी के अनुसार नियोजन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, अपनी अधिकारिता के भीतर कृत्य कर रहे कार्यक्रम अधिकारियों और कार्यान्वयन अभिकरणों के साथ समन्वय करना;
(ङ) कार्यक्रम अधिकारियों के कार्यपालन का पुनर्विलोकन, मानीटर और पर्यवेक्षण करना;
(च) चल रहे कार्य का नियतकालिक निरीक्षण करना; और
(छ) आवेदकों की शिकायतों को दूर करना ।
(4) राज्य सरकार, ऐसी प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों का जिला कार्यक्रम समन्वयक को प्रत्यायोजन करेगी जो इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों को कार्यान्वित करने हेतु उसे समर्थ बनाने के लिए अपेक्षित हों ।
(5) धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त कार्यक्रम अधिकारी और जिले के भीतर कृत्य कर रहे राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरणों तथा निकायों के सभी अन्य अधिकारी, इस अधिनियम तथा तद्धीन बनाई गई स्कीमों के अधीन उसके कृत्यों को कार्यान्वित करने में जिला कार्यक्रम समन्वयक की सहायता करने के लिए उत्तरदायी होंगे ।
(6) जिला कार्यक्रम समन्वयक, आगामी वित्तीय वर्ष के लिए श्रम बजट प्रत्येक वर्ष के दिसंबर मास में तैयार करेगा जिसमें जिले में अकुशल शारीरिक कार्य के लिए पूर्वानुमानित मांग और स्कीम के अंतर्गत आने वाले कार्यों में श्रमिकों को लगाने की योजना के ब्यौरे होंगे और उसे जिला पंचायत की स्थायी समिति को प्रस्तुत करेगा ।
15. कार्यक्रम अधिकारी-(1) मध्यवर्ती स्तर पर प्रत्येक पंचायत के लिए, राज्य सरकार किसी व्यक्ति को, जो ब्लाक विकास अधिकारी से नीचे की पंक्ति का न हो, ऐसी अर्हताओं और अनुभव के साथ जैसी कि राज्य सरकार द्वारा अवधारित की जाएं, मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत के लिए कार्यक्रम अधिकारी के रूप में नियुक्त करेगी ।
(2) कार्यक्रम अधिकारी, इस अधिनियम और उसके अधीन बनाई गई किसी स्कीम के अधीन मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत को उसके कृत्यों का निर्वहन करने में सहायता करेगा ।
(3) कार्यक्रम अधिकारी अपनी अधिकारिता के अधीन क्षेत्र में परियोजनाओं से उद्भूत नियोजन अवसरों के साथ नियोजन की मांग का मेल करने के लिए उत्तरदायी होगा ।
(4) कार्यक्रम अधिकारी, ग्राम पंचायतों द्वारा तैयार किए गए परियोजना प्रस्तावों और मध्यवर्ती पंचायतों से प्राप्त प्रस्तावों का समेकन करके अपनी अधिकारिता के अधीन ब्लाक के लिए एक योजना तैयार करेगा ।
(5) कार्यक्रम अधिकारी के कृत्यों में निम्नलिखित सम्मिलित होंगे-
(क) ब्लाक के भीतर ग्राम पंचायतों और अन्य कार्यान्वयन अभिकरणों द्वारा कार्यान्वित की जाने वाली परियोजनाओं को मानीटर करना;
(ख) पात्र गृहस्थियों को बेकारी भत्ता मंजूर करना और उसका संदाय सुनिश्चित करना;
(ग) ब्लाक के भीतर स्कीम के किसी कार्यक्रम के अधीन नियोजित सभी श्रमिकों को मजदूरी का तुरंत और उचित संदाय सुनिश्चित करना;
(घ) यह सुनिश्चित करना कि ग्राम सभा द्वारा ग्राम पंचायत की अधिकारिता के भीतर सभी कार्यों की नियमित सामाजिक संपरीक्षा की जा रही है और यह कि सामाजिक संपरीक्षा में उठाए गए आक्षेपों पर अनुवर्ती कार्रवाई की जा रही है;
(ङ) सभी शिकायतों को तत्परता से निपटाना जो ब्लाक से भीतर स्कीम के कार्यान्वयन के संबंध में उत्पन्न हों; और
(च) कोई अन्य कार्य करना जो जिला कार्यक्रम समन्वयक या राज्य सरकार द्वारा उसे समनुदेशित किया जाए ।
(6) कार्यक्रम अधिकारी, जिला कार्यक्रम समन्वयक के निदेशन, नियंत्रण और अधीक्षण के अधीन कृत्य करेगा ।
(7) राज्य सरकार, आदेश द्वारा निदेश दे सकेगी कि किसी कार्यक्रम अधिकारी के सभी या किन्हीं कृत्यों का ग्राम पंचायत या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा निर्वहन किया जाएगा ।
16. ग्राम पंचायतों के उत्तरदायित्व-(1) ग्राम पंचायत, ग्राम सभा और वार्ड सभाओं की सिफारिशों के अनुसार किसी स्कीम के अधीन ग्राम पंचायत क्षेत्र में कार्यान्वयन के लिए ली जाने वाली परियोजना की पहचान और ऐसे कार्य के निष्पादन और पर्यवेक्षण के लिए उत्तरदायी होगी ।
(2) कोई ग्राम पंचायत, ग्राम पंचायत के क्षेत्र के भीतर किसी स्कीम के अधीन किसी परियोजना को जिसे कार्यक्रम अधिकारी द्वारा मंजूर किया जाए, ले सकेगी ।
(3) प्रत्येक ग्राम पंचायत, ग्राम पंचायत और वार्ड सभाओं की सिफारिश पर विचार करने के पश्चात् एक विकास योजना तैयार करेगी और स्कीम के अधीन जब कभी कार्य की मांग उत्पन्न होती है, किए जाने वाले संभव कार्यों का एक शैल्फ रखेगी
(4) ग्राम पंचायत, परियोजनाओं के विकास के लिए जिसके अंतर्गत उस वर्ष के प्रारंभ से जिसमें इसे निष्पादित किया जाना प्रस्तावित है, की संवीक्षा और प्रारंभिक पूर्वानुमोदन के लिए कार्यक्रम अधिकारी को विभिन्न कार्यों के बीच अग्रता का क्रम सम्मिलित है, अपने प्रस्तावों को अग्रेषित करेगी ।
(5) कार्यक्रम अधिकारी, ग्राम पंचायत के माध्यम से कार्यान्वित की जाने वाली किसी स्कीम के अधीन उसकी लागत के अनुसार कम से कम पचास प्रतिशत कार्य को आबंटित करेगा ।
(6) कार्यक्रम अधिकारी, प्रत्येक ग्राम पंचायत को निम्नलिखित का प्रदाय करेगा, -
(क) उसके द्वारा निष्पादित किए जाने वाले स्वीकृत कार्य के लिए मस्टर रोल; और
(ख) ग्राम पंचायत के निवासियों को अन्यत्र उपलब्ध नियोजन के अवसरों की एक सूची ।
(7) ग्राम पंचायत आवेदकों के बीच नियोजन के अवसरों का आबंटन करेगी तथा कार्य के लिए उनसे रिपोर्ट करने के लिए कहेगी ।
(8) किसी स्कीम के अधीन किसी ग्राम पंचायत द्वारा आरंभ किया गया कार्य अपेक्षित तकनीकी मानकों और मापमानों को पूरा करेगा ।
17. ग्राम सभा द्वारा कार्य की सामाजिक संपरीक्षा-(1) ग्राम सभा, ग्राम पंचायत के भीतर कार्य के निष्पादन को मानीटर करेगी
(2) ग्राम सभा, ग्राम पंचायत के भीतर आरंभ की गई स्कीम के अधीन सभी परियोजनाओं की नियमित सामाजिक संपरीक्षा करेगी ।
(3) ग्राम पंचायत, सभी सुसंगत दस्तावेज, जिनके अन्तर्गत मस्टर रोल, बिल, वाउचर, माप पुस्तिकाएं, मंजूरी आदेशों की प्रतियां और अन्य संबंधित लेखा बहियां और कागजपत्र भी हैं, सामाजिक संपरीक्षा करने के प्रयोजन के लिए ग्राम सभा को उपलब्ध कराएगी ।
18. स्कीम के कार्यान्वयन में राज्य सरकारों के उत्तरदायित्व-राज्य सरकार, जिला कार्यक्रम समन्वयक और कार्यक्रम अधिकारियों को ऐसे अनिवार्य कर्मचारिवृन्द और तकनीकी सहायता, जो स्कीमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आवश्यक हों, उपलब्ध कराएगी ।
19. शिकायत दूर करने हेतु तंत्र-राज्य सरकार स्कीम के कार्यान्वयन की बाबत किसी व्यक्ति द्वारा की गई किसी शिकायत के निपटान के लिए, नियमों द्वारा ब्लाक स्तर और जिला स्तर पर शिकायत दूर करने हेतु समुचित तंत्र अवधारित करेगी और ऐसी शिकायतों के निपटारे के लिए प्रक्रिया अधिकथित करेगी ।
अध्याय 5
राष्ट्रीय और राज्य रोजगार गारंटी निधियों की स्थापना और संपरीक्षा
20. राष्ट्रीय रोजगार गारंटी निधि-(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए, अधिसूचना द्वारा, राष्ट्रीय रोजगार गारंटी निधि के नाम से ज्ञात एक निधि स्थापित करेगी ।
(2) केन्द्रीय सरकार, संसद् द्वारा विधि द्वारा इस निमित्त किए गए सम्यक् विनियोग के पश्चात् अनुदान या उधार के रूप में ऐसी धनराशि, जिसे केन्द्रीय सरकार राष्ट्रीय निधि के लिए आवश्यक समझे, जमा कर सकेगी ।
(3) राष्ट्रीय निधि के खाते में जमा रकम का ऐसी रीति से और ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाएं, उपयोग किया जाएगा ।
21. राज्य रोजगार गारंटी निधि-(1) राज्य सरकार, स्कीम के कार्यान्वयन के प्रयोजनों के लिए, अधिसूचना द्वारा, राज्य रोजगार गारंटी निधि के नाम से ज्ञात एक निधि स्थापित करेगी ।
(2) राज्य निधि के खाते में जमा रकम, ऐसी रीति से और ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, जो इस अधिनियम और उसके अधीन बनाई गई स्कीमों के कार्यान्वयन के प्रयोजनों के लिए राज्य सरकार द्वारा विहित की जाएं और इस अधिनियम के कार्यान्वयन के संबंध में प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए, व्यय की जाएगी ।
(3) राज्य निधि, राज्य सरकार की ओर से ऐसी रीति में और ऐसे प्राधिकारी द्वारा, जो राज्य सरकार द्वारा विहित किया जाए, धारित और प्रशासित की जाएगी ।
22. वित्तपोषण पैटर्न-(1) ऐसे नियमों के, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त बनाए जाएं, अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित की लागत को पूरा करेगी, अर्थात्: -
(क) स्कीम के अधीन अकुशल शारीरिक कार्य के लिए मजदूरी के संदाय के लिए अपेक्षित रकम;
(ख) स्कीम की सामग्री लागत के तीन चौथाई तक रकम, जिसके अंतर्गत अनुसूची 2 के उपबंधों के अधीन रहते हुए कुशल और अर्धकुशल कर्मकारों को मजदूरी का संदाय भी है;
(ग) स्कीम की कुल लागत का ऐसा प्रतिशत, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रशासनिक खर्चों के प्रति अवधारित किया जाए, जिसके अंतर्गत कार्यक्रम अधिकारियों और उनके सहायक कर्मचारिवृन्द के वेतन और भत्ते, केन्द्रीय परिषद् के प्रशासनिक खर्च, अनुसूची 2 के अधीन दी जाने वाली सुविधाएं और ऐसी अन्य मद भी हैं, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विनिश्चित की जाएं
(2) राज्य सरकार निम्नलिखित की लागत को पूरा करेगी, अर्थात्: -
(क) स्कीम के अंतर्गत संदेय बेकारी भत्ते की लागत;
(ख) स्कीम की सामग्री लागत का एक चौथाई, जिसके अंतर्गत अनुसूची 2 के अधीन रहते हुए कुशल और अर्धकुशल कर्मकारों की मजदूरी का संदाय भी है;
(ग) राज्य परिषद् के प्रशासनिक खर्च ।
23. पारदर्शिता और उत्तरदायित्व-(1) जिला कार्यक्रम समन्वयक और जिले के सभी कार्यान्वयन अभिकरण, किसी स्कीम के कार्यान्वयन के प्रयोजन के लिए उनके व्ययन पर रखी गई निधि के उचित उपयोग और प्रबंध के लिए उत्तरदायी होंगे ।
(2) राज्य सरकार, इस अधिनियम के उपबंधों और उसके अधीन बनाई गई स्कीमों के कार्यान्वयन के संबंध में श्रमिकों के नियोजन और उपगत व्यय की समुचित बहियां और लेखा रखने की रीति विहित कर सकेगी ।
(3) राज्य सरकार, नियमों द्वारा, स्कीमों और स्कीमों के अधीन कार्यक्रमों के उचित निष्पादन के लिए और स्कीमों के कार्यान्वयन में सभी स्तरों पर पारदर्शिता और दायित्व सुनिश्चित करने के लिए, की जाने वाली व्यवस्थाओं को अवधारित कर सकेगी ।
(4) नकद रूप में मजदूरी और बेकारी भत्ते के सभी संदाय, सीधे संबद्ध व्यक्ति को और पूर्व घोषित तारीखों पर समुदाय के स्वतंत्र व्यक्तियों की उपस्थिति में किए जाएंगे ।
(5) यदि ग्राम पंचायत द्वारा किसी स्कीम के कार्यान्वयन से संबंधित कोई विवाद या शिकायत उत्पन्न होती है तो वह मामला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देशित किया जाएगा ।
(6) कार्यक्रम अधिकारी प्रत्येक शिकायत की उसके द्वारा रखे शिकायत रजिस्टर में प्रविष्टि करेगा और विवादों तथा शिकायतों को उनकी प्राप्ति से सात दिन के भीतर निपटाएगा और यदि वे ऐसे मामले से संबंधित हैं जिसे किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा सुलझाया जाना है तो वह उसे शिकायतकर्ता को सूचना देते हुए, ऐसे प्राधिकारी को अग्रेषित करेगा ।
24. लेखाओं की संपरीक्षा-(1) केन्द्रीय सरकार, भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के परामर्श से, स्कीमों के लेखाओं की सभी स्तरों पर संपरीक्षा के लिए समुचित व्यवस्थाएं विहित कर सकेगी ।
(2) स्कीम के लेखा ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाए रखे जाएंगे ।
अध्याय 6
प्रकीर्ण
25. अननुपालन के लिए शास्ति-जो कोई इस अधिनियम के उपबंधों का उल्लंघन करेगा, वह दोषसिद्धि पर जुर्माने का, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, दायी होगा ।
26. प्रत्यायोजित करने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, निदेश दे सकेगी कि उसके द्वारा प्रयोक्तव्य शक्तियां (नियम बनाने की शक्ति को छोड़कर) ऐसी परिस्थितियों में तथा ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीनस्थ ऐसे अधिकारी द्वारा भी, जिसे वह ऐसी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे, प्रयोक्तव्य होंगी ।
(2) राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, निदेश दे सकेगी कि उसके द्वारा प्रयोक्तव्य शक्तियां (नियम और स्कीम बनाने की शक्ति को छोड़कर) ऐसी परिस्थितियों में तथा ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, राज्य सरकार द्वारा या उसके अधीनस्थ ऐसे अधिकारी द्वारा भी जिसे वह ऐसी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे, प्रयोक्तव्य होंगी ।
27. केन्द्रीय सरकार की निदेश देने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबंधों के प्रभावी कार्यान्वय के लिए राज्य सरकार को ऐसे निदेश दे सकेगी जो वह आवश्यक समझे ।
(2) उपधारा (1) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय सरकार, किसी स्कीम के संबंध में, इस अधिनियम के अधीन अनुदत्त निधियों को जारी करने या अनुचित उपयोग के संबंध में किसी शिकायत की प्राप्ति पर, यदि प्रथमदृष्ट्या यह समाधान हो जाता है कि कोई मामला बनता है तो उसके द्वारा पदाभिहित किसी अभिकरण द्वारा की गई शिकायत का अन्वेषण करा सकेगी, और यदि आवश्यक हो तो स्कीम की निधियों के निर्मोचन को रोकने का आदेश कर सकेगी और उचित कालावधि के भीतर इसके उचित कार्यान्वयन के लिए समुचित उपचारी उपाय कर सकेगी ।
28. अधिनियम का अध्यारोही प्रभाव होना-इस अधिनियम या उसके अधीन बनाई गई स्कीमों के उपबंध, तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या ऐसी विधि के फलस्वरूप प्रभाव रखने वाली किसी लिखत में अन्तर्विष्ट उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे:
परन्तु जहां कोई ऐसी राज्य अधिनियमिति विद्यमान है या इस अधिनियम के उपबंधों से संगत ग्रामीण गृहस्थी में अर्धकुशल शारीरिक कार्य के लिए नियोजन गारंटी का उपबंध करने के लिए अधिनियमित की जाती है, जिसके अधीन गृहस्थी की हकदारी उससे कम नहीं है और नियोजन की शर्तें उससे न्यूनतर नहीं हैं, जिनकी इस अधिनियम के अधीन गांरटी दी गई है, वहां राज्य सरकार को अपनी निजी अधिनियमिति को कार्यान्वित करने का विकल्प होगा:
परन्तु यह और कि ऐसे मामलों में वित्तीय सहायता, संबद्ध राज्य सरकार को ऐसी रीति से संदत्त की जाएगी, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अवधारित की जाएगी, जो उससे अधिक न होगी, जिसे वह राज्य इस अधिनियम के अधीन प्राप्त करने का तब हकदार होता जब इस अधिनियम के अधीन बनाई गई कोई स्कीम कार्यान्वित की जानी होती ।
29. अनुसूचियों को संशोधित करने की शक्ति-(1) यदि केंद्रीय सरकार का यह समाधान हो जाता है कि ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो वह, अधिसूचना द्वारा, अनुसूची 1 या अनुसूची 2 का संशोधन कर सकेगी और तदुपरि, यथास्थिति, अनुसूची 1 या अनुसूची 2 तद्नुसार संशोधित की गई समझी जाएगी ।
(2) उपधारा (1) के अधीन बनाई गई प्रत्येक अधिसूचना की प्रति उसके बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखी जाएगी ।
30. सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण-(1) जिला कार्यक्रम समन्वयक, कार्यक्रम अधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध, जो भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 21 के अर्थान्तर्गत लोक सेवक है या समझा जाता है, किसी ऐसी बात के लिए जो इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए नियमों या स्कीमों के अधीन सद्भावपूर्वक की गई है या की जाने के लिए आशयित है, कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही नहीं होगी ।
31. केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा और पूर्व प्रकाशन की शर्त के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए नियम बना सकेगी ।
(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात्: -
(क) धारा 10 की उपधारा (3) के खण्ड (ङ) के अधीन राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों की संख्या;
(ख) धारा 10 की उपधारा (4) के अधीन वे निबंधन और शर्तें जिनके अधीन रहते हुए केंद्रीय परिषद् का अध्यक्ष और कोई सदस्य नियुक्त किया जा सकेगा और केंद्रीय परिषद् के अधिवेशनों (जिसके अंतर्गत ऐसे अधिवेशनों में गणपूर्ति भी है) का समय, स्थान और उनकी प्रक्रिया;
(ग) वह रीति जिसमें तथा वे शर्तें और परिसीमाएं जिनके अधीन रहते हुए धारा 20 की उपधारा (3) के अधीन राष्ट्रीय निधि का उपयोग किया जाएगा;
(घ) धारा 22 की उपधारा (1) के अधीन कतिपय मदों की लागत को पूरा करने के लिए वित्त पोषण पैटर्न से संबंधित नियम ;
(ङ) कोई अन्य विषय, जिसे विहित किया जाना है या जो विहित किया जाए या जिसकी बाबत, केन्द्रीय सरकार द्वारा, नियमों द्वारा, उपबंध किया जाना है ।
32. राज्य सरकार की नियम बनाने की शक्ति-(1) राज्य सरकार, इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए, अधिसूचना द्वारा और पूर्व प्रकाशन की शर्त के अधीन रहते हुए और इस अधिनियम तथा केंद्रीय सरकार द्वारा बनाए गए नियमों से संगत नियम बना सकेगी ।
(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात्: -
(क) वे निबंधन और शर्तें जिन पर धारा 7 की उपधारा (2) के अधीन बेकारी भत्ते के लिए पात्रता अवधारित की जा सकेगी;
(ख) धारा 7 की उपधारा (6) के अधीन बेकारी भत्ते के संदाय के लिए प्रक्रिया;
(ग) धारा 12 की उपधारा (2) के अधीन वे निबंधन और शर्तें जिनके अधीन रहते हुए राज्य परिषद् का अध्यक्ष और कोई सदस्य नियुक्त किया जा सकेगा और राज्य परिषद् के अधिवेशनों (जिसके अंतर्गत ऐसे अधिवेशनों में गणपूर्ति भी है) का समय, स्थान और उनकी प्रक्रिया;
(घ) ब्लाक स्तर और जिला स्तर पर शिकायत प्रतितोष तंत्र और धारा 19 के अधीन ऐसे मामले में अनुसरण की जाने की प्रक्रिया;
(ङ) वह रीति जिसमें तथा वे शर्तें और परिसीमाएं जिनके अधीन रहते हुए धारा 21 की उपधारा (2) के अधीन राष्ट्रीय निधि का उपयोग किया जाएगा;
(च) वह प्राधिकारी जो धारा 21 की उपधारा (3) के अधीन राज्य निधि को प्रशासित कर सकेगा और वह रीति जिसमें वह राज्य निधि को धारित करेगा;
(छ) धारा 23 की उपधारा (2) के अधीन श्रमिकों के नियोजन के बही खाते और व्यय रखे जाने की रीति;
(ज) धारा 23 की उपधारा (3) के अधीन स्कीमों के उचित निष्पादन के लिए अपेक्षित प्रबंध;
(झ) वह प्ररूप और रीति जिसमें स्कीम के लेखाओं को धारा 24 की उपधारा (2) के अधीन रखा जाएगा;
(ञ) कोई अन्य विषय जिसे विहित किया जाना है या जो विहित किया जाए या जिसकी बाबत राज्य सरकार द्वारा, नियमों द्वारा, उपबंध किया जाना है ।
33. नियमों और स्कीमों का रखा जाना-(1) इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह कुल तीस दिन की अवधि के लिए सत्र में हो, जो एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी, रखा जाएगा और यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं या दोनों सदन इस बात से सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो ऐसा नियम, यथास्थिति, तत्पश्चात् केवल ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा या उसका कोई प्रभाव नहीं होगा, तथापि उस नयिम के ऐसे परवितर्ति या निष्प्रभाव होने से पहले उसके अधीन की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
(2) इस अधिनियम के अधीन राज्य सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम या बनाई गई प्रत्येक स्कीम, उसके बनाए जाने के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र, राज्य विधान-मंडल के, जहां दो सदन हैं, प्रत्येक सदन के समक्ष और जहां राज्य विधान-मंडल का एक ही सदन है, वहां उस सदन के समक्ष रखा जाएगा/रखी जाएगी ।
34. कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति-(1) यदि इस अधिनियम के उपबंधों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा ऐसे उपबंध, जो इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत न हों, बना सकेगी जो कठिनाई को दूर करने लिए आवश्यक और समीचीन प्रतीत होते हों;
परन्तु इस धारा के अधीन कोई आदेश इस अधिनियम के प्रारंभ से तीन वर्ष की समाप्ति के पश्चात् नहीं किया जाएगा ।
(2) इस धारा के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश, किए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाएगा ।
अनुसूची 1
धारा 4(3) देखिए]
ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम की न्यूनतम विशेषताएं
[1. धारा 4 के अधीन सभी राज्यों द्वारा, अधिसूचित स्कीम का संक्षिप्त नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम होगा और उक्त स्कीम से संबंधित सभी दस्तावेजों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (2005 का 42) का उल्लेख होगा ।
1क. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम को, इसमें इसके पश्चात् महात्मा गांधी एनआरईजीएस कहा जाएगा और स्कीम में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (2005 का 42) के प्रति किसी संदर्भ को महात्मा गांधी नरेगा कहा जाएगा ।]
[1ख. स्कीम का केन्द्र बिन्दु निम्नलिखित संकर्मों पर होगा और उसका पूर्विकता क्रम प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम सभा और वार्ड सभा के अधिवेशनों में अवधारित किया जाएगा, अर्थात्: -
(i) जल संरक्षण और जल शस्य संचय, जिसके अंतर्गत कन्टूर खाइयां, कन्टूर बंध, गोलश्म चेक, गबियन संरचनाएं, भूमिगत नहरें, मिट्टी के बांध, स्टॉप बांध और झरनों का विकास भी है;
(ii) सूखारोधी, जिसके अंतर्गत वनरोपण और वृक्षारोपण भी हैं;
(iii) सिंचाई नहरें, जिसके अंतर्गत सूक्ष्म और लघु सिंचाई संकर्म भी हैं;
(iv) पैरा 1ग में विनिर्दिष्ट गृहस्थियों के स्वामित्वाधीन भूमि पर सिंचाई सुविधा, फार्म पर खोदा गया पोखर, बागवानी, वृक्षारोपण, मेढ़बंधन और भूमि विकास का उपबंध:
(v) पारम्परिक जल निकायों का नवीकरण, जिसके अंतर्गत तालाबों का शुद्धिकरण भी है;
(vii) जलरुद्ध क्षेत्रों में जल निकास सहित बाढ़ नियंत्रण और संरक्षण संकर्म, जिसके अंतर्गत बाढ़ नियंत्रण नालियों को गहरा करना और उनकी मरम्मत करना, चौर नवीकरण, तटीय संरक्षण के लिए विप्लव जल नालियों का सन्निर्माण;
(viii) सभी मौसमों में पहुंच को उपलब्ध करने के लिए ग्रामीण संयोजकता, जिसके अंतर्गत गांव के भीतर, जहां कहीं आवश्यक हो, पुलिया और सड़के भी हैं;
(ix) ब्लाक स्तर पर ज्ञान संसाधन केन्द्र के रूप में और ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत भवन के रूप में भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्र का निर्माण;
(x) एनएडीईपी कंपोस्टिंग, वर्मी कंपोस्टिंग, लिक्विड बायो-मेन्योर जैसे कृषि संबंधी संकर्म;
(xi) कुक्कुट आश्रय स्थल, बकरी आश्रय स्थल, पक्का फर्श, यूरिन टैंक का निर्माण और अजोला जैसा पशु भोजन संपूरक जैसे पशुधन संबंधी संकर्म;
(xii) सार्वजनिक भूमि पर मौसमी जल निकायों में मत्स्य पालन जैसे मत्सय संबंधी संकर्म;
(xiii) तटीय क्षेत्रों में मछली शुष्कन यार्ड, बेल्ट वेजिटेशन जैसे संकर्म;
(xiv) सोक पिट्स, रिचार्ज पिट्स जैसे ग्रामीण पेयजल संबंधी संकर्म;
(xv) व्यक्तिगत घरेलू पखाने, विद्यालय शौचालय इकाइयां, आंगनबाड़ी शौचालय, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन जैसे ग्रामीण स्वच्छता संबंधी संकर्म;
(xvi) ऐसा कोई अन्य कार्य, जिसे केंद्रीय सरकार द्वारा, राज्य सरकार के परामर्श से अधिसूचित किया जाए ।]
[1ग. पैरा 1ख की मद (iv), मद (x), मद (xi) और मद (xiii) से मद (xv) में उल्लिखित सभी क्रियाकलाप अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के गृहस्थों या गरीबी रेखा से नीचे के कुटुम्बों की या भूमि सुधार के हिताधिकारियों की या भारत सरकार की इंदिरा आवास योजना के हिताधिकारियों की या कृषि ऋण अधिव्यजन और ऋण राहत स्कीम, 2008 में यथा परिभाषित छोटे या सीमांत कृषकों की या अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 (2007 का 2) के अधीन हिताधिकारियों के स्वामित्वाधीन भूमि या गृह संपदा पर अनुज्ञात किए जाएंगे ।
1घ. पैरा 1ख की मद (iv), मद (x), मद (xi) और मद (xiii) से मद (xv) में निर्दिष्ट संकर्मों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन रहते हुए किया जाएगा, अर्थात्: -
(क) पैरा 1ग में निर्दिष्ट गृहस्थियों के पास जॉब कार्ड होगा; और
(ख) हिताधिकारी, उनकी भूमि या गृह संपदा पर की जाने वाली परियोजना पर कार्य करेंगे ।]
2. टिकाऊ आस्तियों का सृजन और ग्रामीण निर्धन व्यक्तियों के आजीविका संसाधनों के लिए आधार को सुदृढ़ करना स्कीम का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य होगा ।
[3. स्कीम के अधीन किए गए कार्य ग्रामीण क्षेत्र में होंगे और निम्नलिखित शर्तों के अधीन रहते हुए होंगे, अर्थात्: -
(क) प्रत्येक कार्य के लिए एक विशेष पहचान सं० दी जाएगी;
(ख) सभी कार्य ऐसे कर्मकारों द्वारा निष्पादित किए जाएंगे जिनके पास जॉब कार्ड है और जिन्होंने कार्य की मांग की है;
(ग) 18 वर्ष से कम की आयु के किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम परियोजनाओं के अधीन कार्य करने की अनुज्ञा नहीं दी जाएगी;
[(घ) प्रत्येक मस्टर रोल की विशिष्ट पहचान संख्या होगी और उसे कार्यक्रम अधिकारी द्वारा प्रमाणित किया जाएगा तथा उसमें ऐसी अनिवार्य जानकारी अंतर्विष्ट होगी, जो केंद्रीय सरकार द्वारा, आदेश द्वारा, विनिर्दिष्ट की जाए;]
(ङ) कार्यक्रम अधिकारी द्वारा सम्यक् रूप से हस्ताक्षरित और समुचित रूप से संख्यांकित मस्टर रोल कार्य स्थल पर रखी जाएगी और ऐसी मस्टर रोल जो कार्यक्रम अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित नहीं है और समुचित रूप से संख्यांकित नहीं है, उसे अप्राधिकृत समझा जाएगा और कार्य स्थल पर नहीं रखी जाएगी;
(च) कर्मकार अपनी उपस्थिति और कार्य स्थल पर मस्टर रोल में उपार्जित मजदूरी की रकम को प्रति हस्ताक्षरित करेंगे;
(छ) समय-समय पर भारत सरकार द्वारा यथा विहित मस्टर रोलों के विस्तृत अभिलेख रजिस्टरों में रखे जाएंगे;
(ज) जब कार्य प्रगति पर है, कर्मकार उस कार्य में लगे हैं सप्ताह में कम से कम एक बार उनके कार्य स्थल के सभी बिलों और वाउचरों का सत्यापन और प्रमाणन करने के लिए साप्ताहिक चक्रानुक्रम के आधार पर उनमें से कम से कम पांच कर्मकारों का चयन किया जाएगा;
(झ) अनुमोदन या कार्य आदेश की एक प्रति कार्य स्थल पर सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराई जाएगी;
(ञ) कार्य का मापमान कार्य स्थल के भारसाधक अर्हित तकनीकी कार्मिक द्वारा रखी गई मापमान पुस्तकों में अभिलिखित किया जाएगा;
(ट) प्रत्येक कार्य और प्रत्येक कर्मकार के मापमान अभिलेख सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे;
(ठ) प्रत्येक कार्य स्थल पर एक नागरिक सूचना बोर्ड रखा जाना चाहिए और भारत सरकार द्वारा विहित रीति में नियमित रूप से अद्यतन किया जाना चाहिए;
(ड) कोई व्यक्ति सभी कार्य घंटों के दौरान कार्य स्थल पर मांग किए जाने पर मस्टर रोलों के प्रति पहुंच रखने के लिए योग्य होगा; और
(ढ) भारत सरकार के अनुदेशों के अनुसार स्थापित की गई सतर्कता और मानीटरी समिति सभी कार्यों और उस पर उसकी मूल्यांकन रिपोर्ट की जांच करेगी जो भारत सरकार द्वारा विहित प्ररूप में कार्य रजिस्टर में अभिलिखित की जाएगी और सामाजिक संपरीक्षा के दौरान ग्राम सभा को प्रस्तुत की जाएगी ;]
[5. राज्य सरकार, स्कीम के भाग के रूप में, स्कीम के अधीन सृजित लोक आस्तियों के उचित रखरखाव की व्यवस्था करेगी]
1[7. राज्य सरकार मजदूरी को कार्य की मात्रा से संबद्ध करेगी और राज्य परिषद् के परामर्श से प्रतिवर्ष, विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा नियत दर अनुसूची के अनुसार संदत्त की जाएगी ।]
[8. (1) विभिन्न अकुशल श्रमिकों के लिए मजदूरी की दरों की अनुसूची इस प्रकार नियत की जाएगी कि [विश्राम के एक घंटे सहित] नौ घंटे के लिए काम करने वाला कोई वयस्क व्यक्ति सामान्यता मजदूरी दर के बराबर मजदूरी उपार्जित कर सके ।
(2) किसी वयस्क कर्मकार के कार्य दिवस, जिसके अंतर्गत विश्राम के अंतराल भी हैं यदि कोई हों, इस प्रकार व्यवस्थित किए जाएंगे कि वे किसी दिवस में बारह घंटे से अधिक न हों ।]
[8क. किसी समूह में कार्य करने वाले किन्हीं पुरुष और स्त्री कर्मकारों द्वारा किए गए औसत कार्य आधारित दरों की सूची नियत करने के लिए आधार होगा ताकि दरों की अनुसूची में लिंग आधारित कोई विभेद न हो ।]
9. कार्यक्रम के अंतर्गत आरंभ की गई परियोजनाओं की सामग्री संघटक की लागत, जिसके अंतर्गत कुशल और अर्धकुशल कर्मकारों की मजदूरी भी है, 4[प्रत्येक ग्राम पंचायत के स्तर पर] कुल परियोजना लागत के चालीस प्रतिशत से अधिक नहीं होगी ।
10. कार्यक्रम अधिकारी और ग्राम पंचायत किसी ऐसे व्यक्ति को, जो स्कीम के अधीन नियोजन के लिए आवेदन करता है, यह निदेश देने के लिए स्वतंत्र होगा कि वह ऐसी स्कीम के अधीन अनुज्ञेय किसी प्रकार का कार्य करे ।
11. स्कीम में उसके अधीन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए किसी ठेकेदार को लगाने की अनुज्ञा नहीं दी जाएगी ।
12. यथाव्यवहार्य, स्कीम के अधीन वित्त पोषित कार्य शारीरिक श्रम का उपयोग करके पूरा किया जाएगा, मशीन का नहीं ।
[13. प्रत्येक स्कीम में कार्यान्वयन के प्रत्येक स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित रीति में पर्याप्त उपबंध होंगे, -
(क) पूर्व सक्रिय प्रकटन:
(i) प्रत्येक कार्य स्थल पर पूर्व सक्रिय प्रकटन नागरिकता सूचना बोर्ड के माध्यम से, उपस्थिति के संबंध में मस्टर रोल जानकारी का, पढ़े जाना, प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा कार्य दिवस के अंत में कर्मकारों की उपस्थिति में किया गया कार्य और संदत्त मजदूरी के माध्यम से किया जाएगा, मापन पुस्तक में मापमान कर्मकारों के समक्ष कार्य के मापमान के दौरान पढ़ा जाएगा;
(ii) ग्राम पंचायत और ब्लाक कार्यक्रम कार्यालय पर पूर्व सक्रिय प्रकटन बोर्डों पर जानकारी के संप्रदर्शन के माध्यम से किया जाएगा और इसके अंतर्गत नियोजन के उपबंधों से संबंधित जानकारी, प्राप्त निधियां और व्यय अनुमोदित परियोजनाओं के शेल्फ होंगे; और
(iii) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम के संबंध में कोई जानकारी जनता को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए वेबसाइट के माध्यम से जो भारत सरकार द्वारा विहित की जाए तथा निःशुल्क डाउनलोड की जाए, उपलब्ध कराई जाएगी:
14. किसी स्कीम के अधीन किए जा रहे संकर्म का, कार्य की उचित क्वालिटी सुनिश्चित करने के लिए और साथ यह सुनिश्चित करने के लिए कि कार्य के पूरा किए जाने के लिए संदत्त मजदूरी, किए गए कार्य क्वालिटी और मात्रा के अनुरूप है, नियमित निरीक्षण और पर्यवेक्षण करने के लिए उपबंध किए जाएंगे ।
15. स्कीम को कार्यान्वित करने वाले जिला कार्यक्रम समन्वयक, कार्यक्रम अधिकारी और ग्राम पंचायत, अपनी अधिकारिता के भीतर स्कीम के कार्यान्वयन से संबंधित तथ्यों और आकड़ों तथा उपलब्धियों सहित वार्षिक रूप से एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसकी एक प्रति, जनता को मांग पर और ऐसी फीस के संदाय पर जो स्कीम में विनिर्दिष्ट की जाए उपलब्ध कराई जाएगी ।
[16. स्कीम से संबंधित सभी खातों और अभिलेखों को सार्वजनिक संवीक्षा के लिए निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा । यदि कोई व्यक्ति इसकी प्रति या इससे सम्बद्ध सार प्राप्त करना चाहता है तो उसकी मांग किए जाने पर आवेदन प्राप्ति की तारीख से तीन कार्य दिवसों के भीतर और स्कीम में विनिर्दिष्ट शुल्क का भुगतान किए जाने के पश्चात् ऐसी प्रतियां या सार उपलब्ध कराए जासकते हैं ।]
17. प्रत्येक स्कीम या किसी स्कीम के अधीन परियोजना के मस्टर रोल की एक प्रति, ग्राम पंचायत और कार्यक्रम अधिकारी के कार्यालय में, हितबद्ध व्यक्ति द्वारा, ऐसी फीस का संदाय करने के पश्चात्, जो स्कीम में विनिर्दिष्ट की जाए, निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराई जाएगी ।
अनुसूची 2
[धारा 5 देखिए]
किसी स्कीम के अधीन गारंटीकृत ग्रामीण रोजगार के लिए शर्तें और श्रमिकों की न्यूनतम हकदारियां
1. प्रत्येक गृहस्थी के वयस्क सदस्य, जो-
(i) किसी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते हैं, और
(ii) अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक हैं,
उस ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत (जिसे इस अनुसूची में इसके पश्चात् ग्राम पंचायत कहा गया है) को, जिसकी अधिकारिता में वे निवास करते हैं, अपने नाम, आयु और गृहस्थी के पते, जॉब कार्ड जारी करने के लिए अपनी गृहस्थी के रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं ।
[2. (1) ग्राम पंचायत का यह कर्तव्य होगा कि वह ऐसी जांच करने के पश्चात् जो वह ठीक समझे, गृहस्थी को रजिस्टर करे और गृहस्थी के रजिस्ट्रीकृत वयस्क सदस्यों के निम्नलिखित आवश्यक ब्यौरों वाला एक जॉब कार्ड जारी करे, अर्थात्: -
(i) जॉब कार्ड संख्या;
(ii) गृहस्थी के सदस्य-वार कार्य की मांग और आबंटन;
(iii) किए गए कार्य का वर्णन;
(iv) कार्य करने की तारीखें और दिन;
(v) उस मस्टर रोल का संख्याक, जिसके द्वारा मजदूरी संदत्त की गई;
(vi) संदत्त मजदूरी की रकम;
(vii) बेकारी भत्ता, यदि कोई संदत्त किया गया हो;
(viii) डाक महसूल लेखा/बैंक खाता संख्या;
(ix) बीमा पालिसी संख्या; और
(x) मतदाता फोटो पहचान पत्र, मतदाता पहचान पत्र, यदि कोई हो, संख्या ।
[(xi) आधार संख्या, यदि जारी की गई हो ।]
(2) जॉब कार्ड पर सभी प्रविष्टियां प्राधिकृत अधिकारी हस्ताक्षर से सम्यक् रूप से अधिप्रमाणित होंगी ।
(3) उपपैरा (1) के अधीन जारी जॉब कार्ड पर गृहस्थी के केवल उन्हीं रजिस्ट्रीकृत वयस्क सदस्यों के फोटो होंगे, जिनको जॉब कार्ड जारी किया गया है ।
(4) गृहस्थी के ऐसे रजिस्ट्रीकृत वयस्क सदस्यों, जिनका वह जॉब कार्ड हो, से भिन्न किसी व्यक्ति का फोटो, नाम या ब्यौरे, जॉब कार्ड पर चिपकाए या अभिलिखित नहीं किए जाएंगे ।
(5) सभी जॉब कार्ड उन जॉब कार्डधारकों की अभिरक्षा रहेंगे, जिनके वे हैं ।]
3. पैरा 2 के अधीन रजिस्ट्रीकरण ऐसी अवधि के लिए जो स्कीम में अधिकथित की जाए किन्तु किसी भी मामले में पांच वर्ष से कम नहीं होगी, किया जाएगा, और इसे समय-समय पर नवीकृत किया जा सकेगा ।
4. रजिस्ट्रीकृत गृहस्थी का ऐसा प्रत्येक वयस्क सदस्य, जिसका नाम जॉब कार्ड में है, स्कीम के अधीन अकुशल शारीरिक कार्य के लिए आवेदन करने का हकदार होगा ।
5. किसी गृहस्थी के सभी रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति, इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन बनाई गई स्कीम के अनुसार, उतने दिनों के लिए, जितने दिनों के लिए प्रत्येक आवेदक अनुरोध करे, किसी वित्तीय वर्ष में प्रति गृहस्थी अधिकतम एक सौ दिनों के अधीन रहते हुए, नियोजन के हकदार होंगे ।
6. कार्यक्रम अधिकारी यह सुनिश्चित होगा करेगा कि पैरा 5 में निर्दिष्ट प्रत्येक आवेदक को, स्कीम के उपबंधों के अनुसार, आवेदन की प्राप्ति से पन्द्रह दिन के भीतर या उस तारीख से, जिससे वह अग्रिम आवेदन की दशा में कार्य चाहता है, इनमें से जो भी पश्चात्वर्ती हो, अकुशल शारीरिक कार्य दिया जाएगा:
परन्तु यह कि महिलाओं को इस तरह पूर्विकता दी जाएगी कि कम से कम एक तिहाई फायदा प्राप्त करने वालों में ऐसी महिलाएं होंगी, जो इस अधिनियम के अधीन कार्य के लिए रजिस्ट्रीकृत हैं और जिन्होंने अनुरोध किया है ।
7. कार्य के लिए आवेदन कम से कम चौदह दिनों के निरन्तर कार्य के लिए होना चाहिए ।
8. गृहस्थी की संपूर्ण हकदारी के अधीन रहते हुए नियोजन के उन दिनों की संख्या जिनके लिए कोई व्यक्ति आवेदन कर सकेगा, या उसको वस्तुतः दिए गए नियोजन के दिनों की संख्या पर कोई सीमा नहीं होगी ।
9. कार्य के लिए आवेदन, लिखित रूप में ग्राम पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी को, जैसा स्कीम में विनिर्दिष्ट किया जाए, प्रस्तुत किए जाएंगे ।
10. यथास्थिति, ग्राम पंचायत और कार्यक्रम अधिकारी वैध आवेदन स्वीकार करने और आवेदक को तारीख सहित रसीद जारी करने के लिए आबद्ध होंगे । समूह आवेदन भी प्रस्तुत किया जा सकेंगे ।
11. ऐसे आवेदकों को, जिन्हें कार्य दिया जाता है, जॉब कार्ड में दिए गए उनके पते पर उनको पत्र भेज कर और जिला, मध्यवर्ती या ग्राम स्तर पर पंचायतों में सार्वजनिक सूचना प्रदर्शित कर इस प्रकार लिखित रूप में सूचित किया जाएगा ।
12. जहां तक संभव हो, आवेदक को उस ग्राम से जहां वह आवेदन करते समय निवास करता है, पांच किलोमीटर की त्रिज्या के भीतर नियोजन प्रदान किया जाएगा ।
[13. स्कीम के अधीन कोई नया कार्य आरंभ किया जा सकता है यदि कम से कम दस श्रमिक कार्य के लिए उपलब्ध हो जाते हैं ।]
14. यदि नियोजन [पैरा 12 में विनिर्दिष्ट त्रिज्या] के बाहर प्रदान किया जाता है तो यह ब्लॉक के भीतर ही प्रदान किया जाना चाहिए और श्रमिकों को अतिरिक्त परिवहन और जीवनयापन खर्चों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त मजदूरी के रूप में, मजदूरी दर के दस प्रतिशत का संदाय किया जाएगा ।
2[15. नियोजन की अवधि कम से कम लगातार चौदह दिन की और एक सप्ताह में छह दिन से अनधिक की होगी ।]
16. उन सभी मामलों में जहां बेकारी भत्ता संदत्त किया जाता है या संदत्त किया जाना शोध्य है वहां कार्यक्रम अधिकारी, लिखित रूप में जिला कार्यक्रम समन्वयक को वे कारण सूचित करेगा कि उसके लिए आवेदकों को नियोजन प्रदान करना या नियोजन प्रदान कराना क्यों संभव नहीं था ।
17. जिला कार्यक्रम समन्वयक, राज्य परिषद् को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह स्पष्टीकरण देगा कि उन मामलों में जहां बेकारी भत्ते का संदाय अर्न्तवलित है, नियोजन क्यों नहीं प्रदान किया जा सका था ।
18. स्कीम में अग्रिम आवेदन के लिए, अर्थात् ऐसे आवेदनों के लिए जो उस तारीख से जिससे नियोजन चाहा गया है, पहले प्रस्तुत किए जा सकेंगे, उपबंध किया जाएगा ।
19. स्कीम में एक ही व्यक्ति द्वारा अनेक आवेदन प्रस्तुत करने के बारे में उपबंध किया जाएगा परन्तु यह तब जबकि तत्संबंधी अवधि, जिनके लिए नियोजन चाहा गया है, अतिव्याप्त नहीं होती ।
20. ग्राम पंचायत ऐसे रजिस्टर, वाउचर और अन्य दस्तावेज ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से, जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाएं, तैयार करेगी और रखेगी या तैयार करवाएगी और रखवाएगी, जिसमें ग्राम पंचायत में रजिस्ट्रीकृत जॉब कार्डों और जारी की गई पासबुकों की विशिष्टियां और गृहस्थी के मुखिया तथा वयस्क सदस्यों के नाम, आयु और पते अंतर्विष्ट होंगे ।
21. ग्राम पंचायत, उसके पास रजिस्ट्रीकृत गृहस्थियों और उनके वयस्क सदस्यों के नाम और पते की सूचियां, ऐसी सूची तथा ऐसी अन्य जानकारियां संबद्ध कार्यक्रम अधिकारी को, ऐसी अवधि पर, ऐसे प्ररूप में, जो स्कीम में विनिर्दिष्ट किया जाए, भेजेगी ।
22. उन व्यक्तियों की सूची, जिन्हें कार्य दिया जाता है, ग्राम पंचायत के सूचना पटल पर और कार्यक्रम अधिकारी के कार्यालय में तथा ऐसे अन्य स्थानों पर जिन्हें कार्यक्रम अधिकारी आवश्यक समझे, प्रदर्शित की जाएगी, और सूची राज्य सरकार या किसी हितबद्ध व्यक्ति द्वारा निरीक्षण के लिए खुली रहेगी ।
23. यदि ग्राम पंचायत का किसी समय समाधान हो जाता है कि किसी व्यक्ति ने मिथ्या जानकारी प्रस्तुत करके उसके पास रजिस्टर कराया है तो वह कार्यक्रम अधिकारी को रजिस्टर से उसका नाम काटने का निदेश दे सकेगी और आवेदक को जॉब कार्ड लौटाने का निदेश दे सकेगी:
परन्तु इस पैरा के अधीन ऐसी कार्यवाही तब तक निदेशित नहीं की जाएगी, जब तक कि आवेदक को दो स्वतंत्र व्यक्तियों की उपस्थिति में सुने जाने का अवसर नहीं दे दिया गया हो ।
24. यदि स्कीम के अधीन नियोजित किसी व्यक्ति को, उसके नियोजन के कारण और उसके क्रम में किसी दुर्घटना से कोई शारीरिक क्षति कारित होती है तो वह निःशुल्क ऐसे चिकित्सीय उपचार का, जो स्कीम के अधीन अनुज्ञेय है, हकदार होगा ।
25. जहां क्षतिग्रस्त कर्मकार का अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक हो, वहां राज्य सरकार उसके अस्पताल में भर्ती होने के लिए, जिसके अन्तर्गत आवास, उपचार, ओषधियां भी हैं, तथा दैनिक भत्ते के संदाय के लिए, जो संदत्त किए जाने के लिए अपेक्षित उस मजदूरी दर के आधे से कम नहीं होगा, जो क्षतिग्रस्त व्यक्ति के कार्य में लगे होने पर होती, व्यवस्था करेगी ।
26. यदि स्कीम के अधीन नियोजित किसी व्यक्ति की, नियोजन से उद्भूत दुर्घटना या उसके क्रम में मृत्यु हो जाती है या वह स्थायी रूप से निःशक्त हो जाता है तो कार्यान्वयन अभिकरण द्वारा उसे पच्चीस हजार रुपए की दर पर या ऐसी रकम का जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित की जाए, अनुग्रहपूर्वक संदाय किया जाएगा और यह रकम, यथास्थिति, मृत या निःशक्त व्यक्ति के विधिक वारिसों को संदत्त की जाएगी ।
27. कार्यस्थल पर स्वच्छ पेयजल, बालकों के लिए तथा विश्राम की अवधि के लिए शेड, लघु क्षति में आपात उपचार के लिए पर्याप्त सामग्री सहित प्राथमिक सहायता पेटी तथा किए जा रहे कार्य से संबद्ध अन्य स्वास्थ्य परिसंकट के लिए सुविधाएं प्रदान की जाएंगी ।
28. यदि किसी कार्यस्थल पर कार्यरत महिलाओं के साथ छह वर्ष से कम आयु के बालकों की संख्या पांच या उससे अधिक हैं तो ऐसी महिलाओं में से किसी एक महिला को ऐसे बालकों की देखभाल करने के लिए तैनात करने की व्यवस्था की जाएगी ।
29. पैरा 28 के अधीन नियुक्त व्यक्ति को मजदूरी दर पर संदाय किया जाएगा ।
30. यदि स्कीम के अधीन विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर मजदूरी का संदाय नहीं किया जाता है तो श्रमिक, मजदूरी संदाय अधिनियम, 1936 (1936 का 4) के उपबंधों के अनुसार प्रतिकर का संदाय प्राप्त करने के हकदार होंगे ।
[31. मजूदरी का भुगतान, [यदि इस प्रकार छूट न दी गई हो] केन्द्रीय सरकार के निर्देशों के अनुसार कर्मियों के बैंकों या डाकघरों में खोले गए एकल या संयुक्त बचत खातों के माध्यम से किया जाएगा ।
33. यदि किसी ऐसे व्यक्ति के, जो स्कीम के अधीन नियोजित है, साथ में आने वाले बालक को दुर्घटनावश कोई शारीरिक क्षति कारित होती है तो ऐसा व्यक्ति बालक के लिए निःशुल्क ऐसा चिकित्सीय उपचार जो स्कीम में विनिर्दिष्ट किया जाए और उसकी मृत्यु या निःशक्तता की दशा में, अनुग्रहपूर्वक संदाय, जो राज्य सरकार द्वारा अवधारित किया जाए, प्राप्त करने का हकदार होगा ।
34. स्कीम के अधीन प्रत्येक नियोजन की दशा में, मात्र लिंग के आधार पर कोई विभेद नहीं होगा और समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 (1976 का 25) के उपबंधों का पालन किया जाएगा ।
[35. (1) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की अनुसूची 2 के पैरा 1, 3, 9 और 14 में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, बाढ़, चक्रवात, सूनामी और भूकंप की प्रकृति की राष्ट्रीय विपत्तियों के परिणामस्वरूप ग्रामीण आबादी के व्यापक विस्थापन की दशा में इस प्रकार प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीण गृहस्थियों के वयस्क सदस्य-
(i) रजिस्ट्रीकरण के लिए अनुरोध कर सकेंगे और अस्थायी पुनर्स्थापन क्षेत्र की ग्राम पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी द्वारा जारी जॉब कार्ड प्राप्त कर सकेंगे;
(ii) अस्थायी पुनर्स्थापन क्षेत्र के कार्यक्रम अधिकारी या ग्राम पंचायत के समक्ष कार्य के लिए लिखित या मौखिक आवेदन कर सकेंगे; और
(iii) हानि या विनाश की दशा में जॉब कार्ड के पुनःरजिस्ट्रीकरण और पुनःजारी किए जाने के लिए आवेदन कर सकेंगे ।
(2) सामान्य स्थिति के प्रत्यावर्तन की दशा में, इस प्रकार जारी जॉब कार्ड निवास के मूल स्थान पर पुनःपृष्ठांकित किया जाएगा और सुधार होने पर मूल जॉब कार्ड के साथ जोड़ दिया जाएगा ।
(3) इस प्रकार उपलब्ध कराए गए नियोजन के दिनों की संख्या की गणना, प्रति गृहस्थी 100 दिनों की गारंटीकृत नियोजन की संगणना करते समय की जाएगी ।]
[36. अधिनियम या उसमें अनुसूची के अधीन प्राप्त शिकायतों या स्वप्रेरणा और अन्यथा उपबंधित से लिए गए संज्ञान पर निम्नलिखित रीति में कार्यवाही की जाएगी, अर्थात्: -
(क) कार्यक्रम अधिकारी प्रत्येक शिकायत को उसके द्वारा रखे गए शिकायत रजिस्टर में दर्ज करेगा और शिकायत की अभिस्वीकृति सम्यक् रूप से संख्यांकित और तारीख सहित जारी करेगा;
(ख) स्थल पर सत्यापन के माध्यम से जांच, निरीक्षण और निपटारा सात कार्य दिवसों के भीतर पूरा किया जाएगा;
(ग) किसी ग्राम पंचायत द्वारा जो उस कार्यक्रम अधिकारी की अधिकारिता के भीतर आती है शिकायतों का इसके अंतर्गत अधिनियम के कार्यान्वयन से संबंधित शिकायतें भी हैं, उनका अधिनियम की धारा 23 की उपधारा (6) के अधीन यथा विहित सात दिन के भीतर कार्यक्रम अधिकारी द्वारा निपटारा किया जाएगा और यदि उस दशा में जब शिकायत किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा हल किए जाने के विषय से संबंधित है, तो कार्यक्रम अधिकारी प्रारंभिक जांच करेगा और विषय को ऐसे प्राधिकारी को शिकायतकर्ता को सूचित करते हुए सात दिन के भीतर निर्दिष्ट करेगा ;
(घ) कार्यक्रम अधिकारी द्वारा सात दिन के भीतर शिकायत का निपटारा करने में व्यतिक्रम होने पर अधिनियम के उपबंधों का उल्लंघन माना जाएगा और अधिनियम की धारा 25 के अधीन दंडनीय होगा तथा ऐसी चूक के विरुद्ध शिकायतें जिला कार्यक्रम समन्वयक के पास फाइल की जाएंगी;
(ङ) वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में प्रथमदृष्ट्या साक्ष्य होने की दशा में, जिला कार्यक्रम समन्वयक यह सुनिश्चित करेगा कि प्रथम सूचना रिपोर्ट फाइल की गई है;
(च) राज्य सरकार या जिला कार्यक्रम समन्वयक या कार्यक्रम अधिकारी या राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत कोई अन्य प्राधिकारी स्वप्रेरणा से या प्रतिनिर्देश से किसी शिकायत की जांच कर सकेगा और दोषी साबित होने पर, दोषी पर अधिनियम की धारा 25 के अधीन शास्ति अधिरोपित करेगा;
(छ) यदि संबद्ध प्राधिकारी यह पाता है कि हकदारी का उल्लंघन है, तो वह व्यथित पक्षकार को सूचना देगा और पंद्रह दिन के भीतर ऐसी शिकायत के समाधान के लिए उत्तरदायी होगा;
(ज) की गई कार्यवाही के संबंध में शिकायतकर्ता को सूचित किया जाएगा और एक पखवाड़े में एक बार विहित फार्मेट में दो स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित कराएगा;
(झ) कार्यक्रम अधिकारी और जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा प्राप्त शिकायतों पर की गई कार्यवाही क्रमशः मध्यवर्ती पंचायत और जिला पंचायत की बैठकों के समक्ष रखी जाएंगी;
(ञ) ग्राम पंचायत के आदेशों के विरुद्ध कोई अपील कार्यक्रम अधिकारी को की जाएगी और वे जो कार्यक्रम अधिकारी के आदेशों के विरुद्ध हैं, जिला कार्यक्रम समन्वयक को की जाएंगी तथा जो जिला कार्यक्रम समन्वयक के विरुद्ध हैं, वे राज्य आयुक्त (राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार स्कीम) को की जाएगी;
(ट) खंड (ञ) के अधीन कोई अपील आदेश पारित किए जाने की तारीख से पैंतालीस दिन के भीतर की जाएगी; और
(ठ) उसकी प्राप्ति की तारीख से एक मास के भीतर किसी अपील का निपटारा किया जाएगा ।]